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- Essays in Hindi /
Mahatma Gandhi Essay in Hindi | महात्मा गांधी पर हिंदी में निबंध
- Updated on
- अगस्त 5, 2023

भारत के स्वतंत्रता सेनानी और बापू के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए अपना पूरा जीवन दे दिया। महात्मा गांधी ने चंपारण आंदोलन, खेड़ा आंदोलन, खिलाफत आंदोलन, नमक आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन किए। गांधी जी के बारे में हमें जरूर जानना चाहिए, क्योंकि यह हमारे राष्ट्रपिता के तौर पर जाने जाते हैं। इस ब्लाॅग Mahatma Gandhi Essay in Hindi में हम गांधी जी के बारे में जानने के साथ ही 100 शब्दों, 300 शब्दों और 500 शब्दों में निबंध लिखना सीखेंगे।

This Blog Includes:
महात्मा गांधी पर निबंध कैसे लिखें, महात्मा गांधी पर निबंध 100 शब्द, महात्मा गांधी राष्ट्रपिता के रूप में, लंदन में प्रवास और अपने करियर की खोज, दक्षिण अफ्रीका में सक्रियता, गांधी जी के बारे में, गांधी जी का शिक्षा के क्षेत्र में योगदान, महात्मा गाँधी द्वारा किए गए आंदोलन, गांधी जी की शिक्षा, गांधी जी ने उठाई आवाज, महात्मा गांधी पर निबंध pdf, gandhi jayanti quotes in hindi: गांधी जयंती कोट्स, महात्मा गांधी के बारे में रोचक तथ्य, विश्वास , प्रथा , साहित्यिक कार्य.
महात्मा गांधी पर निबंध लिखने के लिए, आपको उनके बारे में निम्नलिखित विवरणों का उल्लेख करना होगा।
- देश के लिए योग
- आजादी के लिए निभाया कर्तव्य
महात्मा गांधी पर 100 शब्दों में निबंध इस प्रकार हैः
महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्द
महात्मा गांधी पर 200 शब्दों में निबंध इस प्रकार हैः
महात्मा गांधी को महात्मा , ‘महान आत्मा’ और कुछ लोगों द्वारा उन्हें बापू के नाम से जाना जाता है। महात्मा गांधी वह नेता थे जिन्होंने 200 से अधिक वर्षों से भारतीय जनता पर ब्रिटिश उपनिवेशवाद की बेड़ियों से भारत को मुक्त कराया था। 2 अक्टूबर, 1869 को भारत के पोरबंदर में जन्मे महात्मा गांधी का असली नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। गांधी बचपन से ही न तो कक्षा में मेधावी थे और न ही खेल के मैदान में बेहतर थे। उस समय किसी ने अनुमान नहीं लगाया होगा कि लड़का देश में लाखों लोगों को एक कर देगा और दुनिया भर में लाखों लोगों का नेतृत्व करेगा।
विश्व स्तर पर प्रसिद्ध व्यक्ति, महात्मा गांधी को उनकी अहिंसक, अत्यधिक बौद्धिक और सुधारवादी विचारधाराओं के लिए जाना जाता है। महान व्यक्तित्वों में माने जाने वाले, भारतीय समाज में गांधी का कद बेजोड़ है क्योंकि उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करने के उनके श्रमसाध्य प्रयासों के लिए ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में जाना जाता है। महात्मा गांधी की शिक्षा ने उन्हें दुनिया के सबसे महान लोगों में से एक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने पोरबंदर के एक प्राथमिक स्कूल में पढ़ाई की, जहां उन्होंने पुरस्कार और छात्रवृत्तियां जीतीं, लेकिन पढ़ाई के प्रति उनका दृष्टिकोण सामान्य था। 1887 में गांधी ने बॉम्बे विश्वविद्यालय में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की और भावनगर के समालदास कॉलेज में प्रवेश लिया।
गांधी जी डॉक्टर बनना चाहते थे, लेकिन उनके पिता ने जोर देकर कहा कि वे बैरिस्टर बनें। उस समय, इंग्लैंड ज्ञान का केंद्र था, इसलिए उन्हें अपने पिता के सपने की खोज में स्मालदास कॉलेज छोड़ना पड़ा। अपनी माँ के आग्रह और संसाधनों की कमी के बावजूद, वह इंग्लैंड जाने के लिए अड़े थे। अंत में, सितंबर 1888 में, वह इंग्लैंड के लिए रवाना हुए, जहां उन्होंने लंदन के चार लॉ कॉलेजों में से एक, इनर टेम्पल में प्रवेश लिया। उन्होंने 1890 में लंदन विश्वविद्यालय में मैट्रिक की परीक्षा भी दी ।
लंदन में अपने समय के दौरान, उन्होंने अपनी पढ़ाई को गंभीरता से लिया और एक सार्वजनिक बोलने वाले अभ्यास समूह में भी शामिल हो गए, जिससे उन्हें कानून का अभ्यास करने के लिए अपने शर्मीलेपन को दूर करने में मदद मिली। लंदन में एक आक्रोशपूर्ण संघर्ष में, कुछ डॉक्टर बेहतर वेतन और शर्तों की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए।
लंदन में एक और महत्वपूर्ण उदाहरण में शाकाहार के लिए उनका मिशनरी कार्य शामिल था। गांधीजी लंदन वेजिटेरियन सोसाइटी में कार्यकारी समिति के सदस्य बने और विभिन्न सम्मेलनों में भी भाग लिया और इसकी पत्रिका में लेखों का योगदान दिया। इंग्लैंड में शाकाहारी रेस्तरां की अपनी यात्राओं के दौरान, गांधी ने एडवर्ड कारपेंटर, जॉर्ज बर्नार्ड शॉ और एनी बेसेंट जैसे उल्लेखनीय समाजवादियों, फैबियन और थियोसोफिस्टों से मुलाकात की।
थोड़े समय के लिए इंग्लैंड से भारत लौटने के बाद, गांधी जी ने अब्दुल्ला के चचेरे भाई के लिए वकील बनने के लिए दक्षिण अफ्रीका की यात्रा की जो दक्षिण अफ्रीका में एक सफल शिपिंग व्यापारी थे । दक्षिण अफ्रीका पहुंचने पर, गांधीजी देश की कठोर वास्तविकता से अवगत हुए, जिसमें नस्लीय भेदभाव शामिल था। महात्मा गांधी ने महसूस किया था कि शिक्षा सबसे शक्तिशाली उपकरण है जो समाज को नया आकार दे सकती है और भारतीय समाज को इसकी बहुत आवश्यकता है।
गांधी जी की शिक्षा का विचार मुख्य रूप से चरित्र निर्माण, नैतिक मूल्यों, नैतिकता और मुक्त शिक्षा पर केंद्रित था। वह इस बात की वकालत करने वाले पहले लोगों में से थे कि शिक्षा को सभी के लिए मुफ्त और सभी के लिए सुलभ बनाया जाना चाहिए, चाहे वह किसी भी वर्ग का हो।
महात्मा गांधी पर निबंध 300 शब्द
महात्मा गांधी पर 300 शब्दों में निबंध इस प्रकार हैः
“अहिंसा परमो धर्मः” के सिद्धांत को नींव बना कर, विभिन्न आंदोलनों के माध्यम से महात्मा गांधी ने देश को गुलामी की जंजीर से आजाद कराया। वह अच्छे राजनीतिज्ञ के साथ बहुत अच्छे वक्ता भी थे। उनके द्वारा बोले गए वचनों को आज भी लोगों द्वारा दोहराया जाता है।
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गाँधी के पिता कठियावाड़ के छोटे से रियासत (पोरबंदर) के दिवान थे। आस्था में लीन माता और उस क्षेत्र के जैन धर्म के परंपराओं के कारण गाँधी जी के जीवन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा, जैसे की आत्मा की शुद्धि के लिए उपवास करना आदि। 13 वर्ष की आयु में गाँधी जी का विवाह कस्तूरबा से करवा दिया गया था।
बचपन से ही गांधी जी का पढ़ाई में मन नहीं लगता था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर से संपंन हुई, हाईस्कूल की परिक्षा इन्होंने राजकोट में पूरी की और मैट्रीक के लिए इन्हें अहमदाबाद भेज दिया गया। बाद में वकालत इन्होंने लंदन से पूरी की। महात्मा गांधी का शिक्षा में योगदान यह मानना था कि भारतीय शिक्षा सरकार के नहीं बल्कि समाज के अधीन है, इसलिए महात्मा गांधी भारतीय शिक्षा को ‘द ब्यूटिफुल ट्री’ कहा करते थे। शिक्षा के क्षेत्र में उनका विशेष योगदान रहा। भारत का हर नागरिक शिक्षित हो यही उनकी इच्छा थी। गाँधी जी का मूल मंत्र ‘शोषण विहिन समाज की स्थापना’ करना था।
गांधी जी का कहना था कि 7 से 14 वर्ष के बच्चों को निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा मिलनी चाहिए। शिक्षा का माध्यम मातृभाषा हो। साक्षरता को शिक्षा नहीं कहा जा सकता। शिक्षा बालक के मानवीय गुणों का विकास करता है। गांधीजी को बचपन में लोग मंदबुद्धि समझते थे, पर आगे चल कर इन्होंने भारतीय शिक्षा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
महात्मा गांधी पर निबंध – 400 शब्द
महात्मा गांधी पर निबंध- 400 शब्दों में इस प्रकार है:
देश की आजादी में मूलभूत भूमिका निभाने वाले तथा सभी को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले बापू को सर्वप्रथम बापू कहकर, राजवैद्य जीवराम कालिदास ने 1915 में संबोधित किया। आज दशकों बाद भी संसार उन्हें बापू के नाम से पुकारता है।
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गाँधी के पिता कठियावाड़ के छोटे से रियासत (पोरबंदर) के दिवान थे। आस्था में लीन माता और उस क्षेत्र के जैन धर्म के परंपराओं के कारण गाँधी जी के जीवन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा, जैसे की आत्मा की शुद्धि के लिए उपवास करना आदि। 13 वर्ष की आयु में गांधी जी का विवाह कस्तूरबा से करा दिया गया था।
असहयोग आंदोलन
जलियांवाला बाग नरसंहार से गाँधी जी को यह ज्ञात हो गया था कि ब्रिटिश सरकार से न्याय की अपेक्षा करना व्यर्थ है। अतः उन्होंने सितंबर 1920 से फरवरी 1922 के मध्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया। लाखों भारतीय के सहयोग मिलने से यह आंदोलन अत्यधिक सफल रहा। और इससे ब्रिटिश सरकार को भारी झटका लगा।
नमक सत्याग्रह
12 मार्च 1930 से साबरमती आश्रम (अहमदाबाद में स्थित स्थान) से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला गया। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के नमक पर एकाधिकार के खिलाफ छेड़ा गया। गाँधी जी द्वारा किए गए आंदोलनों में यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण आंदोलन था।
दलित आंदोलन
गाँधी जी द्वारा 1932 में अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना की गई और उन्होंने छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरूआत 8 मई 1933 में की।
भारत छोड़ो आंदोलन
ब्रिटिश साम्राज्य से भारत को तुरंत आजाद करने के लिए महात्मा गाँधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस के बॉम्बे अधिवेशन से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन आरम्भ किया गया।
चंपारण सत्याग्रह
ब्रिटिश ज़मींदार गरीब किसानों से अत्यधिक कम मूल्य पर जबरन नील की खेती करा रहे थे। इससे किसानों में भूखे मरने की स्थिति पैदा हो गई थी। यह आंदोलन बिहार के चंपारण जिले से 1917 में प्रारंभ किया गया। और यह उनकी भारत में पहली राजनैतिक जीत थी।
महात्मा गांधी के शब्दों में “कुछ ऐसा जीवन जियो जैसे की तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसा सीखो जिससे कि तुम हमेशा के लिए जीने वाले”। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी इन्हीं सिद्धान्तों पर जीवन व्यतीत करते हुए भारत की आजादी के लिए ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ अनेक आंदोलन लड़े।
महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्द
500 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in Hindi इस प्रकार हैः
गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। भारत को स्वतंत्रता दिलवाने में उन्होंने एहम भूमिका निभायी थी। 2 अक्टूबर को हम उन्हीं की याद में गांधी जयंती मनाते है। वह सत्य के पुजारी थे। गांधीजी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।
गांधी जी के पिता का नाम करमचंद उत्तमचंद गांधी था और वह राजकोट के दीवान रह चुके थे। गांधी जी की माता का नाम पुतलीबाई था और वह धर्मिक विचारों और नियमों का पालन करती थीं। कस्तूरबा गांधी उनकी पत्नी का नाम था वह उनसे 6 माह बड़ी थीं। कस्तूरबा और गांधी जी के पिता मित्र थे, इसलिए उन्होंने अपनी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदल दी। कस्तूरबा गांधी ने हर आंदोलन में गांधी जी का सहयोग दिया था।
गांधी जी ने पोरबंदर में पढ़ाई की थी और फिर माध्यमिक परीक्षा के लिए राजकोट गए थे। वह अपनी वकालत की आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए इंग्लैंड चले गए। गांधी जी ने 1891 में अपनी वकालत की शिक्षा पूरी की। लेकिन किसी कारण वश उन्हें अपने कानूनी केस के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वहां जाकर उन्होंने रंग के चलते हो रहे भेद-भाव को महसूस किया और उसके खिलाफ अपनी आवाज़ उठाने की सोची। वहां के लोग लोगों पर ज़ुल्म करते थे और उनके साथ दुर्व्यवहार करते थे।
भारत वापस आने के बाद उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत की तानाशाह को जवाब देने के लिए और अपने लिखे समाज को एकजुट करने के बारे में सोचा। इसी दौरान उन्होंने कई आंदोलन किये जिसके लिए वे कई बार जेल भी जा चुके थे। गाँधी जी ने बिहार के चम्पारण जिले में जाकर किसानों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की। यह आंदोलन उन्होंने जमींदार और अंग्रेज़ों के खिलाफ किया था। एक बार गाँधीजी को स्वयं एक गोरे ने ट्रेन से उठाकर बाहर फेंक दिया क्योंकि उस श्रेणी में केवल गोरे यात्रा करना अपना अधिकार समझते थे परंतु गांधी जी उस श्रेणी में यात्रा कर रहे थे।
गांधी जी ने प्रण लिया कि वह काले लोगों और भारतीयों के लिए संघर्ष करेंगे। उन्होंने वहाँ रहने वाले भारतीयों के जीवन सुधार के लिए कई आन्दोलन किये । दक्षिण अफ्रीका में आन्दोलन के दौरान उन्हें सत्य और अहिंसा का महत्त्व समझ में आया। जब वह भारत वापस आए तब उन्होंने वही स्थिति यहां पर भी देखी, जो वह दक्षिण अफ्रीका में देखकर आए थे। 1920 में उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाया और अंग्रेजों को ललकारा।
1930 में गांधी जी ने असहयोग आंदोलन चलाया और 1942 में उन्होंने अंग्रेजों से भारत छोड़ने का आह्वान किया। अपने इन आन्दोलन के दौरान वह कई बार जेल गए। हमारा भारत 1947 में आजाद हुआ, लेकिन 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई, जब वह संध्या प्रार्थना के लिए जा रहे थे।

Mahatma Gandhi Essay in Hindi में हम महात्मा गांधी के कुछ अनमोल विचार के बारे में जानेंगे जो आपको अपना जीवन बदलने की राह आसान करेंगेः
- “एक कायर प्यार का प्रदर्शन करने में असमर्थ होता है, प्रेम बहादुरों का विशेषाधिकार है।”
- “मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है। सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा उसे पाने का साधन।”
- “किसी चीज में यकीन करना और उसे ना जीना बेईमानी है।”
- “राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है।”
- “पृथ्वी सभी मनुष्यों की ज़रुरत पूरी करने के लिए पर्याप्त संसाधन प्रदान करती है, लेकिन लालच पूरी करने के लिए नहीं।”
- “प्रेम दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति है और फिर भी हम जिसकी कल्पना कर सकते हैं उसमे सबसे नम्र है।”
- “एक राष्ट्र की संस्कृति उसमे रहने वाले लोगों के दिलों में और आत्मा में रहती है।”
- “जहाँ प्रेम है वहां जीवन है।”
- “सत्य बिना जन समर्थन के भी खड़ा रहता है, वह आत्मनिर्भर है।”
- “एक धर्म जो व्यावहारिक मामलों के कोई दिलचस्पी नहीं लेता है और उन्हें हल करने में कोई मदद नहीं करता है वह कोई धर्म नहीं है।”
Mahatma Gandhi Essay in Hindi जानने के साथ ही हमें महात्मा गांधी के बारे में रोचक तथ्यों के बारे में जानना चाहिए, जोकि इस प्रकार हैंः

- महात्मा गांधी की मातृ-भाषा गुजराती थी।
- महात्मा गांधी ने राजकोट के अल्फ्रेड हाई स्कूल से पढ़ाई की थी।
- महात्मा गांधी के जन्मदिन 2 अक्टूबर को ही अंतरराष्ट्रीय अंहिसा दिवस के रूप मे विश्वभर में मनाया जाता है।
- वह अपने माता-पिता के सबसे छोटी संतान थे उनके दो भाई और एक बहन थी।
- माधव देसाई, गांधी जी के निजी सचिव थे।
- महात्मा गांधी की हत्या बिरला भवन के बगीचे में हुई थी।
- महात्मा गांधी और प्रसिध्द लेखक लियो टॉलस्टॉय के बीच लगातार पत्र व्यवहार होता था।
- महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह संघर्ष के दोरान, जोहांसबर्ग से 21 मील दूर एक 1100 एकड़ की छोटी सी कालोनी, टॉलस्टॉय फार्म स्थापित की थी।
- महात्मा गांधी का जन्म शुक्रवार को हुआ था, भारत को स्वतंत्रता भी शुक्रवार को ही मिली थी तथा महात्मा गांधी की हत्या भी शुक्रवार को ही हुई थी।
- महात्मा गांधी के पास नकली दांतों का एक सेट हमेशा मौजूद रहता था।
महात्मा गांधी जी के सिद्धांत, प्रथा और विश्वास
गांधी जी के बयानों, पत्रों और जीवन के सिद्धांतों, प्रथाओं और विश्वासों ने राजनीतिज्ञों और विद्वानों को आकर्षित किया है, जिसमें उन्हें प्रभावित किया है। कुछ लेखक उन्हें नैतिक जीवन और शांतिवाद के प्रतिमान के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जबकि अन्य उन्हें उनकी संस्कृति और परिस्थितियों से प्रभावित एक अधिक जटिल, विरोधाभासी और विकसित चरित्र के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जिसकी जानकारी नीचे दी गई है:

सत्य और सत्याग्रह
गांधी ने अपना जीवन सत्य की खोज और पीछा करने के लिए समर्पित कर दिया, और अपने आंदोलन को सत्याग्रह कहा, जिसका अर्थ है “सत्य के लिए अपील करना, आग्रह करना या उस पर भरोसा करना”। एक राजनीतिक आंदोलन और सिद्धांत के रूप में सत्याग्रह का पहला सूत्रीकरण 1920 में हुआ, जिसे उन्होंने उस वर्ष सितंबर में भारतीय कांग्रेस के एक सत्र से पहले ” असहयोग पर संकल्प ” के रूप में पेश किया।
हालांकि अहिंसा के सिद्धांत को जन्म देने वाले गांधी जी नहीं थे, वे इसे बड़े पैमाने पर राजनीतिक क्षेत्र में लागू करने वाले पहले व्यक्ति थे। अहिंसा की अवधारणा का भारतीय धार्मिक विचार में एक लंबा इतिहास रहा है, इसे सर्वोच्च धर्म माना जाता है।
गांधीवादी अर्थशास्त्र
गांधी जी सर्वोदय आर्थिक मॉडल में विश्वास करते थे, जिसका शाब्दिक अर्थ है “कल्याण, सभी का उत्थान”। समाजवाद मॉडल की तुलना में एक बहुत अलग आर्थिक मॉडल था।
बौद्ध, जैन और सिख
गांधी जी का मानना था कि बौद्ध, जैन और सिख धर्म हिंदू धर्म की परंपराएं हैं, जिनका साझा इतिहास, संस्कार और विचार हैं।
मुस्लिम
गांधी के इस्लाम के बारे में आम तौर पर सकारात्मक और सहानुभूतिपूर्ण विचार थे और उन्होंने बड़े पैमाने पर कुरान का अध्ययन किया। उन्होंने इस्लाम को एक ऐसे विश्वास के रूप में देखा जिसने शांति को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया, और महसूस किया कि कुरान में अहिंसा का प्रमुख स्थान है।
गांधी ने ईसाई धर्म की प्रशंसा की। वह ब्रिटिश भारत में ईसाई मिशनरी प्रयासों के आलोचक थे, क्योंकि वे चिकित्सा या शिक्षा सहायता को इस मांग के साथ मिलते थे कि लाभार्थी ईसाई धर्म में परिवर्तित हो जाए। सीधे शब्दों में समझें तो गांधीजी हर धर्म का सम्मान और विश्वास करते थे।
गांधी जी ने महिलाओं की मुक्ति का पुरजोर समर्थन किया, और “महिलाओं को अपने स्वयं के विकास के लिए लड़ने के लिए” आग्रह किया। उन्होंने पर्दा, बाल विवाह, दहेज और सती प्रथा का विरोध किया।
अस्पृश्यता और जातियां
गांधी जी ने अपने जीवन के शुरुआती दिनों में अस्पृश्यता के खिलाफ बात की थी।
नई शिक्षा प्रणाली, बुनियादी शिक्षा
गांधी जी ने शिक्षा प्रणाली के औपनिवेशिक पश्चिमी प्रारूप को खारिज कर दिया।
गांधी एक अच्छे वकील के साथ-साथ एक कुशल लेखक भी थे। उनकी लेखन शैली सरल, सटीक, स्पष्ट और कृत्रिमता से रहित थी। गांधी द्वारा लिखा गया हिंद स्वराज, 1909 में गुजराती में प्रकाशित हुआ। उन्होंने गुजराती, हिंदी और अंग्रेजी भाषा में हरिजन सहित कई समाचार पत्रों का संपादन किया, जैसे- इंडियन ओपिनियन जबकि दक्षिण अफ्रीका में और, यंग इंडिया, अंग्रेजी में, और नवजीवन, एक गुजराती मासिक। भारत लौटने पर गांधी जी ने अपनी आत्मकथा, द स्टोरी ऑफ माई एक्सपेरिमेंट्स विद ट्रुथ सहित कई किताबें भी लिखी। गांधी की पूरी रचनाएं भारत सरकार द्वारा 1960 के दशक में द कलेक्टेड वर्क्स ऑफ़ महात्मा गांधी के नाम से प्रकाशित की गई थी।
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सादा जीवन, उच्च विचार।
महात्मा गांधी जी को भारत में राष्ट्रपिता के रूप में सम्मानित किया जाता है। स्वतंत्र भारत के संविधान द्वारा महात्मा को राष्ट्रपिता की उपाधि प्रदान किए जाने से बहुत पहले, नेताजी सुभाष चंद्र बोस ही थे।
गांधी की मां पुतलीबाई अत्यधिक धार्मिक थीं। उनकी दिनचर्या घर और मंदिर में बंटी हुई थी। वह नियमित रूप से उपवास रखती थीं और परिवार में किसी के बीमार पड़ने पर उसकी सेवा सुश्रुषा में दिन-रात एक कर देती थीं।
गाँधी का मत था स्वराज का अर्थ है जनप्रतिनिधियों द्वारा संचालित ऐसी व्यवस्था जो जन-आवश्यकताओं तथा जन-आकांक्षाओं के अनुरूप हो।
इसका सूत्रपात सर्वप्रथम महात्मा गांधी ने 1894 ई. में दक्षिण अफ़्रीका में किया था।
महात्मा गांधी, मोहनदास करमचंद गांधी के नाम से, (जन्म 2 अक्टूबर, 1869, पोरबंदर, भारत- मृत्यु 30 जनवरी, 1948, दिल्ली), भारतीय वकील, राजनीतिज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता, और लेखक जो अंग्रेजों के खिलाफ राष्ट्रवादी आंदोलन के नेता बने।
महात्मा गांधी
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महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi)

उद्देश्यपूर्ण विचारधारा से ओतप्रोत महात्मा गाँधी का व्यक्तित्व आदर्शवाद की दृष्टि से श्रेष्ठ था। इस युग के युग पुरुष की उपाधि से सम्मानित महात्मा गाँधी को समाज सुधारक के रूप में जाना जाता है पर महात्मा गाँधी के अनुसार समाजिक उत्थान हेतु समाज में शिक्षा का योगदान आवश्यक है। 2 अक्टुबर 1869 को महात्मा गाँधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में हुआ। यह जन्म से सामान्य थे पर अपने कर्मों से महान बने। रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा इन्हें एक पत्र में “महात्मा” गाँधी कह कर संबोधित किया गया। तब से संसार इन्हें मिस्टर गाँधी के स्थान पर महात्मा गाँधी कहने लगा।
महात्मा गांधी पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Mahatma Gandhi in Hindi, Mahatma Gandhi par Nibandh Hindi mein)
महात्मा गांधी पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).
“अहिंसा परमो धर्मः” के सिद्धांत को नींव बना कर, विभिन्न आंदोलनों के माध्यम से महात्मा गाँधी ने देश को गुलामी के जंजीर से आजाद कराया। वह अच्छे राजनीतिज्ञ के साथ ही साथ बहुत अच्छे वक्ता भी थे। उनके द्वारा बोले गए वचनों को आज भी लोगों द्वारा दोहराया जाता है।
महात्मा गाँधी का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा दीक्षा
महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 को, पश्चिम भारत (वर्तमान गुजरात) के एक तटीय शहर में हुआ। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। आस्था में लीन माता और जैन धर्म के परंपराओं के कारण गाँधी जी के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। 13 वर्ष की आयु में गाँधी जी का विवाह कस्तूरबा से करवा दिया गया था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर से हुई, हाईस्कूल की परीक्षा इन्होंने राजकोट से दिया, और मैट्रीक के लिए इन्हें अहमदाबाद भेज दिया गया। बाद में वकालत इन्होंने लंदन से किया।
महात्मा गाँधी का शिक्षा और स्वतंत्रता में योगदान
महात्मा गाँधी का यह मानना था की भारतीय शिक्षा सरकार के नहीं अपितु समाज के अधीन है। इसलिए महात्मा गाँधी भारतीय शिक्षा को ‘द ब्यूटिफुल ट्री’ कहा करते थे। शिक्षा के क्षेत्र में उनका विशेष योगदान रहा। भारत का हर नागरिक शिक्षित हो यही उनकी इच्छा थी। गाँधी जी का मूल मंत्र ‘शोषण विहिन समाज की स्थापना’ करना था। उनका कहना था की 7 से 14 वर्ष के बच्चों को निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा मिलनी चाहिए। शिक्षा का माध्यम मातृभाषा हो। साक्षरता को शिक्षा नहीं कहा जा सकता। शिक्षा बालक के मानवीय गुणों का विकास करता है।
बचपन में गाँधी जी को मंदबुद्धि समझा जाता था। पर आगे चल कर इन्होंने भारतीय शिक्षा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। हम महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता के रूप में सम्बोधित करते है और भारत की स्वतंत्रता में उनके योगदान के लिए सदा उनके आभारी रहेंगे।
इसे यूट्यूब पर देखें : Mahatma Gandhi par Nibandh
Mahatma Gandhi par Nibandh – निबंध 2 (400 शब्द)
देश की आजादी में मूलभूत भूमिका निभाने वाले तथा सभी को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले बापू को सर्वप्रथम बापू कहकर, राजवैद्य जीवराम कालिदास ने 1915 में संबोधित किया। आज दशकों बाद भी संसार उन्हें बापू के नाम से पुकारता हैं।
बापू को ‘फ ा दर ऑफ नेशन ’ (राष्ट्रपिता) की उपाधि किसने दिया ?
महात्मा गाँधी को पहली बार फादर ऑफ नेशन कहकर किसने संबोधित किया, इसके संबंध में कोई स्पष्ठ जानकारी प्राप्त नहीं है पर 1999 में गुजरात की हाईकोर्ट में दाखिल एक मुकदमे के वजह से जस्टिस बेविस पारदीवाला ने सभी टेस्टबुक में, रवींद्रनाथ टैगोर ने पहली बार गाँधी जी को फादर ऑफ नेशन कहा, यह जानकारी देने का आदेश जारी किया।
महात्मा गाँधी द्वारा किये गये आंदोलन
निम्नलिखित बापू द्वारा देश की आजादी के लिए लड़े गए प्रमुख आंदोलन-
- असहयोग आंदोलन
जलियांवाला बाग नरसंहार से गाँधी जी को यह ज्ञात हो गया था की ब्रिटिश सरकार से न्याय की अपेक्षा करना व्यर्थ है। अतः उन्होंने सितंबर 1920 से फरवरी 1922 के मध्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया। लाखों भारतीय के सहयोग मिलने से यह आंदोलन अत्यधिक सफल रहा। और इससे ब्रिटिश सरकार को भारी झटका लगा।
- नमक सत्याग्रह
12 मार्च 1930 से साबरमती आश्रम (अहमदाबाद में स्थित स्थान) से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला गया। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के नमक पर एकाधिकार के खिलाफ छेड़ा गया। गाँधी जी द्वारा किये गए आंदोलनों में यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण आंदोलन था।
- दलित आंदोलन
गाँधी जी द्वारा 1932 में अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना हुई और उन्होंने छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरूआत 8 मई 1933 में की।
- भारत छोड़ो आंदोलन
ब्रिटिश साम्राज्य से भारत को तुरंत आजाद करने के लिए महात्मा गाँधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस के मुम्बई अधिवेशन से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन आरम्भ किया गया।
- चंपारण सत्याग्रह
ब्रिटिश ज़मींदार गरीब किसानो से अत्यधिक कम मूल्य पर जबरन नील की खेती करा रहे थे। इससे किसानों में भूखे मरने की स्थिति पैदा हो गई थी। यह आंदोलन बिहार के चंपारण जिले से 1917 में प्रारंभ किया गया। और यह उनकी भारत में पहली राजनैतिक जीत थी।
महात्मा गाँधी के शब्दों में “कुछ ऐसा जीवन जियो जैसे की तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसा सीखो जिससे कि तुम हमेशा के लिए जीने वाले”। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी इन्हीं सिद्धान्तों पर जीवन व्यतीत करते हुए भारत की आजादी के लिए ब्रिटिस साम्राज्य के खिलाफ अनेक आंदोलन लड़े।
Essay on Mahatma Gandhi in Hindi – निबंध 3 (500 शब्द)
“कमजोर कभी माफ़ी नहीं मांगते, क्षमा करना तो ताकतवर व्यक्ति की विशेषता है” – महात्मा गाँधी
गाँधी जी के वचनों का समाज पर गहरा प्रभाव आज भी देखा जा सकता है। वह मानवीय शरीर में जन्में पुन्य आत्मा थे। जिन्होंने अपने सूज-बूझ से भारत को एकता के डोर में बांधा और समाज में व्याप्त जातिवाद जैसे कुरीति का नाश किया।
गाँधी जी की अफ्रीका यात्रा
दक्षिण अफ्रीका में गाँधी जी को भारतीय पर हो रहे प्रताड़ना को सहना पड़ा। फर्स्ट क्लास की ट्रेन की टिकट होने के बावजूद उन्हें थर्ड क्लास में जाने के लिए कहा गया। और उनके विरोध करने पर उन्हें अपमानित कर चलती ट्रेन से नीचे फेक दिया गया। इतना ही नहीं दक्षिण अफ्रीका में कई होटल में उनका प्रवेश वर्जित कर दिया गया।
बापू की अफ्रीका से भारत वापसी
वर्ष 1914 में उदारवादी कांग्रेस नेता गोपाल कृष्ण गोखले के बुलावे पर गाँधी भारत वापस आए। इस समय तक बापू भारत में राष्ट्रवाद नेता और संयोजक के रूप में प्रसिद्ध हो गए थे। उन्होंने देश की मौजूदा हालात समझने के लिए सर्वप्रथम भारत भ्रमण किया।
गाँधी, कुशल राजनीतिज्ञ के साथ बेहतरीन लेखक
गाँधी एक कुशल राजनीतिज्ञ के साथ बहुत अच्छे लेखक भी थे। उन्होंने जीवन के उतार चढ़ाव को कलम की सहायता से बखूबी पन्ने पर उतारा है। महात्मा गाँधी ने, हरिजन, इंडियन ओपिनियन, यंग इंडिया में संपादक के तौर पर काम किया। तथा इनके द्वारा लिखी प्रमुख पुस्तक हिंद स्वराज (1909), दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह (इसमें उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में अपने संघर्ष का वर्णन किया है), मेरे सपनों का भारत तथा ग्राम स्वराज हैं। यह गाँधीवाद धारा से ओतप्रोत पुस्तक आज भी समाज में नागरिक का मार्ग दर्शन करती हैं।
गाँधीवाद विचार धारा का महत्व
दलाई लामा के शब्दों में, “आज विश्व शांति और विश्व युद्ध, अध्यात्म और भौतिकवाद, लोकतंत्र व अधिनायकवाद के मध्य एक बड़ा युद्ध चल रहा है” इस अदृश्य युद्ध को जड़ से खत्म करने के लिए गाँधीवाद विचारधार को अपनाया जाना आवश्यक है। विश्व प्रसिद्ध समाज सुधारकों में, संयुक्त राज्य अमेरिका के मार्टिन लूथर किंग, दक्षिण अमेरिका के नेल्सन मंडेला और म्यांमार के आंग सान सू के जैसे ही लोक नेतृत्व के क्षेत्र में गाँधीवाद विचारधारा सफलता पूर्वक लागू किया गया है।
गाँधी जी एक नेतृत्व कर्ता के रूप में
भारत वापस लौटने के बाद गाँधी जी ने ब्रिटिश साम्राज्य से भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई का नेतृत्व किया। उन्होंने कई अहिंसक सविनय अवज्ञा अभियान आयोजित किए, अनेक बार जेल गए। महात्मा गाँधी से प्रभावित होकर लोगों का एक बड़ा समूह, ब्रिटिश सरकार का काम करने से इनकार करना, अदालतों का बहिष्कार करना जैसा कार्य करने लगा। यह प्रत्येक विरोध ब्रिटिश सरकार के शक्ति के समक्ष छोटा लग सकता है लेकिन जब अधिकांश लोगों द्वारा यह विरोध किया जाता है तो समाज पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ता है।
प्रिय बापू का निधन
30 जनवरी 1948 की शाम दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में मोहनदास करमचंद गाँधी की नाथूराम गोडसे द्वारा बैरटा पिस्तौल से गोली मार कर हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड में नाथूराम सहित 7 लोगों को दोषी पाया गया। गाँधी जी की शव यात्रा 8 किलो मीटर तक निकाली गई। यह देश के लिए दुःख का क्षण था।
आश्चर्य की बात है, शांति के “नोबल पुरस्कार” के लिए पांच बार नॉमिनेट होने के बाद भी आज तक गाँधी जी को यह नहीं मिला। सब को अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले प्रिय बापू अब हमारे बीच नहीं हैं पर उनके सिद्धान्त सदैव हमारा मार्ग दर्शन करते रहेंगे।

FAQs: महात्मा गांधी पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर. अल्फ्रेड हाई स्कूल को अब मोहनदास हाई स्कूल के नाम से जाना जाता है।
उत्तर. 30 जनवरी1948 को शाम 5.17 बजे गांधीजी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
उत्तर. नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने उन्हें बापू के नाम से सम्बोधित किया।
उत्तर. बेरेटा 1934. 38 कैलिबर पिस्तौल का इस्तेमाल नाथूराम गोडसे ने महात्मा गाँधी को मारने के लिए किया था।
उत्तर. ऐसा माना जाता है कि भारत रत्न और नोबेल पुरस्कार महात्मा गांधी से बड़ा नहीं है।
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महात्मा गांधी: मानवता के लिए भावस्मरणीय उपहार

मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को भारत के पश्चिमी तट पर एक तटीय शहर पोरबंदर में हुआ था। पोरबंदर उस समय बंबई प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत के तहत एक छोटी सी रियासत काठियावाड़ में कई छोटे राज्यों में से एक था।
उनका जन्म एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। गांधी जी की मां पुतलीबाई एक साध्वी चरित्र, कोमल और भक्त महिला थी और उनके मन पर एक गहरी छाप छोड़ी थी। वो सात वर्ष के थे जब उनका परिवार राजकोट (जो काठियावाड़ में एक अन्य राज्य था) चला गया जहॉं उनके पिता करमचंद गांधी दीवान बने। उनकी प्राथमिक शिक्षा राजकोट में हुई और बाद में उनका दाखिला हाई स्कूल में हुआ। हाई स्कूल से मैट्रिक की शिक्षा प्राप्त करने के बाद गांधी जी नें समलदास कॉलेज, भावनगर में दाखिला लिया। इसी बीच 1885 में उनके पिता की मृत्यु हो गयी। जब गांधी जी इंग्लैंड जाने हेतु नाव लेने के लिए मुंबई गए, तब उनकी अपनी जाति के लोगों नें जो समुद्र पार करने को संदूषण के रूप देखते थे, उनके विदेश जाने पर अडिग रहने पर उन्हें समाज से बहिष्कृत करने की धमकी दी। लेकिन गांधीजी अड़े हुए थे और इस तरह औपचारिक रूप से उन्हें अपनी जाति से बहिष्कृत कर दिया गया। बिना विचलित हुए अठारह साल की उम्र में 4 सितम्बर, 1888 को वो साउथेम्प्टन के लिए रवाना हुए।
महात्मा गांधी के बारे में जानें
लंदन में जीवन
नस्लवाद के खिलाफ लड़ाई.
- दक्षिण अफ्रीका में
भारत का दौरा
चम्पारण में सत्याग्रह, दांडी की नमक यात्रा.
- Learning about Mahatma
लंदन में शुरूआती कुछ दिन काफी दयनीय थे। लंदन में दूसरे वर्ष के अंत में, उनकी मुलाकात दो थियोसोफिस्ट भाइयों से हुई जिन्होनें उन्हें सर एडविन अर्नोल्ड के मिलवाया जिन्होंनें भगवद गीता का अंग्रेजी अनुवाद किया था। इस प्रकार सभी धर्मों के लिए सम्मान का रवैया और उन सबकी अच्छी बातों को समझने की इच्छा उनके दिमाग में प्रारंभिक जीवन में घर कर गयी थी।
इंग्लैंड में अपनी पढ़ाई समाप्त करने के बाद गांधी जी ने राजकोट में कुछ समय बिताया लेकिन उन्होंने बंबई में अपने कानूनी प्रैक्टिस करने का निर्णय लिया। हालांकि बंबई में खुद को स्थापित करने में विफल होने के बाद गांधी जी राजकोट लौट आए और पुनः शुरूआत की। अप्रैल 1893 में गांधी दादा अब्दुल्ला एंड कंपनी से एक प्रस्ताव प्राप्त करने पर दक्षिण अफ्रीका के लिए रवाना हुए। वहॉ आगमन पर उन्होंनें करीब पहली बात महसूस की वो गोरों का नस्लवाद पर दमनकारी माहौल था। भारतीयों जिनमें से बड़ी संख्या में दक्षिण अफ्रीका में व्यापारियों के रूप में, गिरमिटिया मजदूरों या उनके वंशज के रूप में बसे थे, गोरों द्वारा हेय दृष्टि से देखा जाता था और कुली या सामी बुलाया जाता था। इस प्रकार एक हिंदू डॉक्टर को कुली डॉक्टर बुलाया जाता था और गांधी जी खुद को कुली बैरिस्टर बुलाते थे।
दक्षिण अफ्रीका में ट्रेन यात्रा
दक्षिण अफ्रीका गांधी जी के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। यहां उनका सामना कई असामान्य अनुभव और चुनौतियों के साथ हुआ जिसने गहराई से बापू के जीवन को बदल दिया।
गांधीजी व्यापारी दादा अब्दुल्ला के लिए कानूनी सलाहकार के रूप में सेवा करने के लिए 1893 में डरबन में आए थे। दक्षिण अफ्रीका में बापू के काम नें नाटकीय रूप से उनहें पूरी तरह से उसे बदल दिया, जहॉ उन्हें आमतौर पर काले दक्षिण अफ्रीकी और भारतीयों पर होनेवाले भेदभाव का सामना करना पड़ा। डरबन में एक दिन अदालत में मजिस्ट्रेट नें उनसे पगड़ी हटाने के लिए कहा जिसे गांधी जी ने इनकार कर दिया और अदालत से चले गए।
31 मई 1893 को गांधीजी प्रिटोरिया जा रहे थे, एक गोरे नें प्रथम श्रेणी गाड़ी में उनकी मौजूदगी पर आपत्ति जताई और उन्हें ट्रेन के अंतिम वैन डिब्बे में स्थानांतरित करने के लिए आदेश दिया। गांधीजी, जिनके पास प्रथम श्रेणी का टिकट था, ने इंकार कर दिया, और इसलिए उन्हें पीटरमैरिट्सबर्ग में ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया।
स्टेशन के प्रतीक्षालय में सर्दी में रातभर कांपते रहे बापू नें दक्षिण अफ्रीका में ही रहने और भारतीयों एवं अन्य लोगों के खिलाफ नस्लीय भेदभाव से लड़ने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिया। इसी संघर्ष से उनका अहिंसक प्रतिरोध अपने अद्वितीय संस्करण, 'सत्याग्रह' के रूप में उभरा। आज, गांधी जी की एक कांस्य प्रतिमा शहर के केंद्र में चर्च स्ट्रीट पर खड़ी है।
दक्षिण अफ्रीका में इस दूसरी अवधि के दौरान गांधी के जीने के तरीके में आमूल परिवर्तन आया। उन्होंने अपनी इच्छाओं और खर्चों में कमी शुरु की। वो स्वयं अपने धोबी बने, अपने कपड़े खुद इस्त्री की, अपने बालों को खुद काटना सीखा। स्वयं की मदद से संतुष्ट न होकर उन्होंने एक चैरिटेबल अस्पताल में दो घंटे के लिए एक कम्पाउंडर के तौर पर काम किया। उन्होंने नर्सिंग और दाई के काम पर भी किताबें पढ़ीं। 1899 में जब बोर यूद्ध छिड़ा, तब उन्होंने डॉक्टर बूथ की मदद से 1100 भारतीय स्वयंसेवकों का एक एंबूलेंस दल तैयार किया और इसकी सेवायें सरकार को प्रदान की। गांधी के नेतृत्व में इस दल नें महत्वपूर्ण सेवायें दीं। गांधी को सबसे खुशी इस बात से हुई की भारतीयों नें भाइयों के रूप में काम किया और धर्म, जाति या संप्रदाय के पूर्वाग्रहों से ऊपर उठकर एक साथ खतरों का सामना किया।
गांधी जनवरी 1915 में भारत लौटे, एक महात्मा, जिसके पास कोई संपत्ति नही थी केवल अपने लोगों की सेवा करने की एक महत्वाकांक्षा के साथ। हालाकि बुद्धिजीवियों ने दक्षिण अफ्रीका में उनके कारनामों के बारे में सुना था, भारत में वे प्रसिद्ध नहीं थे और सामान्य भारतीय "भिखारी के वेश में महान आत्मा" जैसा टैगोर ने बाद में उन्हें बुलाया था, को नहीं जान पाये थे। पहले वर्ष में गांधी ने कान खोलकर और मुँह बंद कर अध्ययन करने के लिए पूरे देश की यात्रा करने का निर्णय किया। पूरे वर्ष घूमने के उपरांत गांधी अहमदाबाद के बाहरी किनारे पर सावरमती नदी के किनारे बस गये जहाँ मई 1915 में उन्होंने एक आश्रम की स्थापना की। इस आश्रम का नाम उन्होंने सत्याग्रह आश्रम रखा।
उनका पहला सत्याग्रह बिहार के चम्पारण में 1917 में हुआ जहाँ वे सताये हुए नील की खेती करनेवाले मजदूरों के अनुरोध पर पहुँचे। प्रशासन के द्वारा गांधी जी को जिला छोड़ने का आदेश दिया गया और जब उन्होंने मना किया तो शर्मींदा मजिस्ट्रेट ने केस की सुनवाई स्थगित कर दी और बिना जमानत के उन्हें रिहा कर दिया। सत्याग्रह के पहले प्रयोग की सफलता ने गांधी जी की छवि को देश में काफी बढ़ा दिया।
मार्च 1930 में नमक पर टैक्स के खिलाफ गांधी नें एक नया सत्याग्रह चलाया। यह 12 मार्च से 6 अप्रैल तक नमक यात्रा के नाम से प्रसिद्ध हुआ जब उन्होंनें स्वयं नमक बनाने के लिए गुजरात के अहमदाबाद से दांडी तक की 388 किलोमीटर (241 मील) की पैदल यात्रा की।
1939 में द्वितीय विश्व युद्ध के फैलने के साथ ही गांधी जी ने आजादी के लिए अपनी मांग तेज कर दी और अंग्रेजों भारत छोड़ो संकल्प का मसौदा तैयार करने के साथ सत्याग्रह शुरू किया जिसके परिणामस्वरूप अभूतपूर्व पैमाने पर हिंसा और गिरफ्तारी हुई। उन्होंने यह बताते हुए कि उनके आसपास की "आदेशित अराजकता" "असली अराजकता से बुरी थी" यहां तक स्पष्ट किया कि इस बार यदि व्यक्तिगत हिंसा रोकी नहीं गयी तो आंदोलन रोका नही जाएगा। उन्होनें अहिंसा के माध्यम से अनुशासन बनाए रखने के लिए कहा और परम स्वतंत्रता के लिए "करो या मरो" का नारा दिया।

30 जनवरी 1948 को, उनके उपर बम फेंके जाने के दस दिन बाद, गांधी को जब वे बिरला भवन में एक प्रार्थना सभा को संबोधित करने मंच पर जा रहे थे, गोली मार दी गई। गांधी जी गिर गये और उनके होठों से "हे राम ! हे राम !" शब्द निकले। 1919 से 1948 में उनकी मृत्यु तक, वे भारत के केंद्र में रहे और उस महान ऐतिहासिक नाटक के मुख्य नायक रहे जिसकी परिणति उनके देश की आजादी के रुप में हुई। उन्होंने भारत के राजनैतिक परिदृश्य का पूरा चरित्र बदल दिया। जो कभी अछूत माने जाते थे उनके लिए भी उन्होंने जो किया वो कम महत्व का नहीं था। उन्होंने लाखों लोगों को जाति अत्याचार और सामाजिक अपमान के बंधनों से मुक्त कर दिया। उनके व्यक्तित्व के नैतिक प्रभाव और अहिंसा की तकनीक की तुलना नहीं की जा सकती। और ना ही इसकी कीमत किसी देश या पीढ़ी तक सीमित है। यह मानवता के लिए उनका अविनाशी उपहार है।
महात्मा गांधी शांति पुरस्कार
भारत सरकार सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ताओं, विश्व के नेताओं एवं नागरिकों को वार्षिक महात्मा गांधी शांति पुरस्कार प्रदान करती है। गैर भारतीय पुरस्कार विजेताओं में नेल्सन मंडेला प्रमुख हैं, जो दक्षिण अफ्रिका में नस्लीय भेदभाव और अलगाव उन्मूलन करने के लिए संघर्ष के नेता रहे हैं। गांधी जी को कभी भी नोबल पुरस्कार नहीं मिला हालाकि उनका नामांकन 1937 से 1948 के बीच पाँच बार हुआ था। जब 1989 में चौदहवें दलाई लामा को यह पुरस्कार दिया गया तब समिति के अध्यक्ष ने इसे "महात्मा गांधी की स्मृति में श्रद्धांजलि" कहा था। महात्मा गांधी को फिल्मों, साहित्य और थिएटर में चित्रित किया गया है।
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Throughout the 1930s and 1940s, Mahatma Gandhi headed India’s movement for independence by challenging the British not with violence and weapons, but with peaceful protests and stirring inspirational speeches.
Mohandas Karamchand Gandhi, better known as Mahatma Gandhi, believed in Hinduism, non-violence, vegetarianism, self-rule, education, the search for truth and the usefulness of fasting and celibacy. Ghandi’s Hinduism had Jain influences.
The most important events in the life of Mahatma Gandhi centered around his fight for India’s independence. In 1930, in perhaps his most important show of disobedience, he walked 200 miles to the sea to get salt as a symbolic act of rebelli...
मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 02 अक्टूबर 1869 गुजरात के पोरबंदर गांव में हुआ था। गांधीजी का भारत की स्वतंत्रता में काफी अहम योगदान था।
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।
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उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है। वह एक उत्कृष्ट कोटी के वकील होने के साथ एक महान स्वतंत्रता सेनानी भी थे जिन्होंने
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hindi.webdunia.com. अभिगमन तिथि 2021-10-02. ↑ "Mahatma Gandhi
महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 को, पश्चिम भारत (वर्तमान गुजरात) के एक तटीय शहर में हुआ। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी
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